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नोटबंदी सरकार द्वारा लिया गया एक ग़लत फ़ैसला: पी चिदंबरम

P Chidambaram said that Modi Government should accept that demonetisation was a wrong decision

नोटबंदी के कारण आर्थिक मंदी और गिरी हुई विकास दर जैसी समस्यायें बढ़ गई हैं। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नोटबंदी को मोदी सरकार का ग़लत फैसला बताया और कहा कि केंद्र सरकार को इस बात को स्वीकार कर लेना चाहिए।

आपको बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से नोटबंदी के बाद पुराने नोटों के सरकारी बैंकों में वापस आने से जुड़े आंकड़े बताए जाने के बाद पूर्व वित्‍त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि क्‍या नोटबंदी काले धन को सफेद करने की योजना थी?

आपको बता दें इससे पूर्व भारत में आई आर्थिक मंदी पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बासु ने जीडीपी के नवीनतम आंकड़ों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें कहा गया था कि भारत के विकास में गिरावट “बहुत चिंताजनक” हैं। बासु ने कहा नोटबंदी के इस राजनीतिक फैसले की देश को एक भारी कीमत चुकानी होगी जिसका भुगतान देशवासियों को करना पड़ेगा।

जबकि इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री ने इन्‍हीं आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि नोटबंदी के फैसले से देश को आर्थिक नुकसाना उठाना पड़ा है। पी चिदंबरम के मुताबिक आरबीआई ने कहा कि कुल 1544,000 करोड़ रुपए के 1,000 और 500 रुपए में से 16000 करोड़ रुपए के नोट वापस नहीं लौटे, जो कि लगभग 1 प्रतिशत के बराबर है। ऐसे में आरबीआई को शर्म करनी चाहिए कि उसने नोटबंदी का समर्थन किया।

इन सभी दावों के विपरित इस मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी वाले फैसले को विकास की गिरती दरों और आर्थिक विकास में मंदी से जोड़ने वाली सभी रिपोर्टों को खारिज कर दिया था।

ओडिशा में बोलते हुए, शाह ने कहा, नोटबंदी का आर्थिक विकास पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा हैं। अमित शाह ने कहा ‘नोटबंदी के बाद कई तिमाहियां बीत चुकी हैं। अगर नोटबंदी से कोई गिरावट होनी होती तो वह नोटबंदी की घोषणा के बाद की तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2016) में दिखाई दे जाती।’

उन्होंने कहा, कि आर्थिक मंदी की वजह ‘तकनीकी’ है, नोटबंदी इसका कारण नहीं है। GDP की यह गिरावट अस्थायी और तकनीकी कारणों की वजह से आई है।

जबकि इस बारें में अमेरिकी अर्थशास्‍त्री स्टीव एच. हांके ने कहा कि भारत में ‘नकदी पर हमले’ से जैसी उम्मीद थी, इसने अर्थव्यवस्था को मंदी के रास्ते पर धकेल दिया। अमेरिकी राज्‍य मैरीलैंड के बाल्टीमोर स्थित जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में अर्थशास्‍त्री हांके ने कहा, ‘नकद रकम के खिलाफ जंग छेड़ने से मोदी ने सरकारी तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी के रास्ते पर धकेल दिया। मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद मैं यही सोच रहा था कि ऐसा होगा।’

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