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जानिए, आपने (सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम) अपने आखिरी हज में मुसलमानो को क्या पैगाम दिया था!!

सन् 10 हिजरी मे अपने अंतिम हज के अवसर पर आपने (सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम) ने तमाम मुसलमानो के सम्मुख एक ऐतिहासिक जनसंदेश दिया …“ऐ लोगों ! ध्यान से सुनो उसको, जो कुछ मै कहूँ, कि शायद आइन्दा साल तुमसे मुलाकात का मौका न आ सके …आपने हज्जे अकबर के मौके पर फरमाया: ऐ भाईयो, तमाम इन्सानो की इज़्ज़त और जान-माल की हिफाज़त रखना, ना तुम दुनिया मे इन्सानो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायेगा..

ऐ इंसानो ! तुम्हारा खुदा एक है, और सभी ईमानवाले आपस मे भाई भाई हैं। कोई तुम्हारे पास अपनी कोई चीज अमानत के तौर पर रखे, तो उसमें से कुछ उसकी मर्ज़ी के बगैर हरगिज़ न इस्तेमाल करना।  ऐ मुसलमानों ! अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से थामे रखोगे तो कभी गुमराही मे न पड़ोगे।

अज्ञानता काल के सारे अनैतिक नियम और कानून खत्म किए जाते हैं ..
हर तरह का ब्याज हराम ठहराया जाता है सिवाय पूंजी वापसी के

औरतों के विषय में अल्लाह का डर रखो और उनके साथ हुस्ने सुलूक (अच्छे व्यवहार) से हाथ न खीचना .औरतों के मामले में तुम्हें वसीयत की जाती है कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।और तुम्हारी औरतों का तुम पर अधिकार है, कि तुम उनको भली प्रकार खाना और कपड़े देते रहो…

तुम्हारे गुलामो के विषय मे तुम्हें हुक्म दिया जाता है, कि जो कुछ ख़ुद खाओ, वही अपने गुलामो को खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही अपने गुलामो को भी पहनाओ
इसलाम मे किसी को किसी पर कोई बड़ाई नहीं दी गई है अगर, बड़ाई किसी को है तो उसको, जो तक़वा व परहेज़गारी का व्यवहार अपनाने मे दूसरों से आगे है ,
आप सल्ल. ने फरमाया ऐ लोगों ! याद रखो, न मेरे बाद कोई नबी है, और न तुम्हारे बाद कोई उम्मत ।

खुतबा पूरा करने के बाद नबी करीम सल्ल. ने एकत्रित जनसमुदाय से पूछा कि “ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया ??”
इस पर एकत्रित जनसमुदाय ने समवेत स्वर मे उत्तर दिया कि
हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल…

तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा कि”ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना”
उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत नाज़िल हुई कि

आज मैंने तुम्हारे लिए दीन को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत पूरी कर दी. और तुम्हारे लिए इस्लाम ही को पसंद कर लिया [ अल- कुरान, 5:3 ].

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