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डॉ नूतन ठाकुर ने मथुरा कांड की सीबीआई, न्यायिक जाँच हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखा

मथुरा: एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मथुरा कांड से जुड़े मुकदमों की विवेचना सीबीआई और इस मामले की न्यायिक जाँच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से कराये जाने की मांग की. मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में उन्होंने कहा कि इस मामले में उनके दो चाचा राम गोपाल यादव और शिवपाल यादव पर जय गुरुदेव संप्रदाय की संपत्ति मामले में अवांछनीय हस्तक्षेप और इसके लिए अनुचित प्रशासनिक दवाब बनाने के आरोप लग रहे हैं.

साथ ही कई डीएम, एसएसपी आदि भी आरोपों के घेरे में हैं, अतः लोगों में विश्वास जगाने के लिए निष्पक्ष कांच अनिवार्य है. नूतन ने कहा कि ऐसे में स्थानीय पुलिस तथा कमिश्नर अलीगढ द्वारा निष्पक्ष जाँच संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में सबूत तेजी से नष्ट किये जा रहे हैं, अतः तत्काल सीबीआई जाँच और न्यायिक आयोग की कार्यवाही हो.

संलग्न- मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र

सेवा में,
श्री अखिलेश यादव,
मुख्यमंत्री,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- मथुरा की घटना की सीबीआई जाँच और न्यायिक आयोग गठन विषयक
महोदय,
कृपया मथुरा के जवाहर बाग़ में घटी घटना का सन्दर्भ ग्रहण करें जिसमे दो पुलिस वालों के साथ कई नागरिकों की मौत हुई है. भले ही यह घटना दिनांक 02/06/2016 को घटी हो पर इसकी उत्पत्ति फ़रवरी 2014 में ही हो गयी थी जब जवाहर बाग़ पर अवैध कब्ज़ा कर लिया गया था. जाहिर है जिस मामले में इतनी बड़ी घटना हुई, दो पुलिसवाले, तमाम नागरिक मारे गए, उसे अधूरा नहीं छोड़ा जा सकता है. यह भी आवश्यक है कि इसके पूरे तह तक जाया जाए. अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि जवाहर बाग़ के प्रारंभिक कब्ज़ा होने से ले कर इस घटना की अंतिम परिणति तक की घटना का सत्य और तथ्य सामने लाने के लिए निम्न दो कार्यवाही किये जाने की कृपा करें-

1. जवाहर बाग़ पर कब्ज़ा होने से लेकर अंत तक की पूरी घटना के आपराधिक पहलुओं की जाँच सीबीआई को सुपुर्द करने की कृपा करें
2. पूरी घटना में विभिन्न राजनैतिक और प्रशासनिक (तथा पुलिस) पदाधिकारियों की भूमिका और उत्तरदायित्व निर्धारित किये जाने हेतु मा० हाई कोर्ट के एक अवकाशप्राप्त मा० न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमीशन ऑफ़ इन्क्वारी एक्ट के अंतर्गत एक न्यायिक आयोग गठित करने की कृपा करें
अनुरोध है कि निम्न कारणों से इस मामले में राज्य सरकार के अधीन पुलिस और राज्य सरकार के अधीन एक कमिश्नर (कमिश्नर अलीगढ) से जाँच/विवेचना कराये जाने का कोई अर्थ नहीं है-
1. इस घटना में वर्तमान में प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री और वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता श्री शिवपाल सिंह यादव और सांसद और वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता श्री रामगोपाल यादव की भूमिका की खुलेआम चर्चा हो रही है
2. उक्त दोनों सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेता के साथ-साथ आपके चाचा भी हैं
3. स्व० श्री जय गुरुदेव से अत्यंत निकटता के कारण उनकी भूमिका पर सवालिया निशान हैं क्योंकि इस मामले में उक्त दोनों व्यक्तियों की संलिप्तता/भूमिका एक धार्मिक संप्रदाय के साथ रूटीन संपर्क से कहीं बहुत अधिक बढ़-चढ़ कर बतायी जा रही है और इसके तमाम सार्वजनिक सबूत भी पब्लिक डोमेन में हैं
4. यह कहा जा रहा है कि जवाहर बाग़ की घटना श्री शिवपाल और श्री रामगोपाल द्वारा स्व० श्री जय गुरुदेव के उत्तराधिकार के विभिन्न दावेदारों के बीच अनुचित मध्यस्थता करने से सीधा जुड़ा हुआ है
5. यह भी कहा जा रहा है कि जब एक दावेदार को उत्तराधिकार मिल गया तो दुसरे ग्रुप को शांत करने के लिए उसे सार्वजनिक जमीन पर कब्ज़ा करने की अघोषित अनुमति दी गयी
6. यह तो स्पष्ट है कि बिना प्रशासनिक शह के इस प्रकार सार्वजनिक भूमि पर इतने बेहुदे तरीके से कब्ज़ा संभव नहीं था
7. इन दोनों ताकतवर राजनैतिक लोगों के अलावा तमाम वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों पर भी इस मामले में गलत भूमिका निभाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं
8. इनमे मौजूदा डीएम और एसएसपी मथुरा सहित वर्ष 2014 से उक्त जिले के विभिन्न डीएम और एसएसपी के नाम शामिल हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न कमिश्नर आगरा, डीआईजी और आईजी आगरा की भी इस प्रकरण में सीधी संलिप्तता की बातें कही जा रही हैं. इस घटना की सीधी लपेट शासन के भी कई अफसरों- डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह आदि पर पहुँच रही है
9. यह स्पष्ट है कि जिस प्रकार से दो वर्षों तक यह नंगा नाच हुआ, यह सब बिना प्रशासनिक मिलीभगत के संभव नहीं था
10. यह भी स्पष्ट है कि प्रशासनिक मिलीभगत के पीछे या तो पैसा होता है या राजनैतिक दवाब. इस मामले में प्राथमिक तौर पर राजनैतिक दवाब (श्री राम गोपाल और श्री शिवपाल के स्तर पर) की बात अधिक चर्चा में है जो प्राथमिक स्तर पर ज्यादा सही भी प्रतीत होती है
11. इसके अतिरिक्त पुलिस-प्रशासन द्वारा लाशों को गायब कर देने की बात भी चर्चा में है जिसकी सत्यता ज्ञात होना अनिवार्य है, जो स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा संभव नहीं
12. उपरोक्त कारणों से स्थानीय पुलिस कभी भी सही अनुसन्धान नहीं कर सकती और इन्ही कारणों से एक कमिश्नर के लिए संभव नहीं है कि वह सत्य का संधान कर सामने रख सके

उपरोक्त सभी कारणों से प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में आपका यह न्यायिक और प्रशासनिक उत्तरदायित्व है कि इस मामले में न्याय करें और सभी तथ्यों को सामने लाते हुए सभी जिम्मेदार लोगों का आपराधिक और प्रशासनिक उय्त्तार्दयित्व निर्धारित कराया जाना सुनिश्चित करें. इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि इसमें आरोपी व्यक्तियों में आपके अत्यंत नजदीकी लोग भी शामिल हैं. अतः आपसे निवेदन है कि तत्काल इस प्रकरण के आपराधिक मुकदमे को सीबीआई ट्रान्सफर करने और प्रशासनिक पहलू के जाँच हेतु न्यायिक आयोग का गठन करने की कृपा करें.

निवेदन करुँगी कि इस प्रकरण में तत्काल कार्यवाही की नितांत आवश्यकता है क्योंकि प्रत्येक दिन साक्ष्य बड़ी तेजी से नष्ट हो रहे हैं अथवा उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. अतः न्याय होने अथवा जाँच होने में एक-एक पल का विलम्ब अनुचित है. जिस प्रकार से वर्तमान में स्थानीय पुलिस की विवेचना और कमिश्नर अलीगढ की जाँच चल रही है, वह पूरी तरह खानापूर्ति दिखती है जिसमे कई लोगों को बयान देने तक से मना किया जा रहा है, जैसा कुछ लोगों ने मुझे स्वयं फोन कर अवगत कराया है.

अतः प्रकरण की तात्कालिकता के दृष्टिगत न्याय हेतु और लोगों के विश्वास को बनाए रखने हेतु कृपया अविलम्ब उक्त दोनों कार्यवाही करने की कृपा करें.

पत्र संख्या- NT/Mathura/CBI/16
दिनांक-07/06/2015 (डॉ नूतन ठाकुर)                                                                                                                     5/426, विराम खंड,
गोमतीनगर, लखनऊ

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