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मदर टेरेसा नहीं, अब कहिये संत मदर टेरेसा

वेटिकन सिटी: मदर टेरेसा को वेटिकन सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान संत घोषित कर दिया गया। इस मौके पर देश भर से एक लाख से अधिक अनुयायी मौजूद हैं। संत मदर टेरेसा की उपाधि पोप फ्रांसिस ने दी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में केंद्र सरकार का एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, दिल्ली से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में और बंगाल से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य स्तरीय दल भी इस कार्यक्रम में शरीक हो रहे हैं। संत मदर टेरेसा के सम्‍मान में वेटिकन सिटी में कार्यक्रम चल रहा है।

पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को दयालु संत बताते हुए कहा कि वह बीमार और त्यागे हुए लोगों की जीवन रक्षक थीं जिन्होंने ‘गरीबी का अपराध खड़ा करने वाले’ विश्व नेताओं को शर्म से झुका दिया था. सेंट पीटर बेसालिका की सीढ़ियों से पोप फ्रांसिस ने कहा – ‘संत टेरेसा ने दुनिया के ताकतवर लोगों तक अपनी आवाज़ पहुंचाई ताकि वह लोग गरीबी के उस अपराध के लिए खुद को दोषी महसूस कर सकें जिसे उन्होंने ही खड़ा किया है.’ 1997 में संत टेरेसा की मृत्यु के वक्त मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के 3 हज़ार से ज्यादा सदस्य थे. 19 साल बाद इस संस्थान की लोकप्रियता के साथ मिशन के करीब 5 हज़ार सदस्य हैं।

भारत भर के गिरिजाघरों में आज इस खास दिन काफी लोग मौजूद थे, इसके साथ ही आज मुंबई में मदर टेरेसा को मिली इस संत की उपाधि के मौके पर एक डाक टिकट भी जारी किया गया है। ब्राजील के इंजीनियर मार्सिलियो एंड्रीनो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ इस समारोह में उपस्थित हुए हैं. बता दें कि एंड्रीनो के दिमाग में ट्यूमर था और उनका दावा है कि मदर टेरेसा की बदौलत ही उनका यह ट्यूमर ठीक हुआ है. इस चमत्कार की पुष्टि इसी साल पोप फ्रांसिस ने भी की थी जिसके बाद मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने का फैसला लिया गया।