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मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मुर्सी को देश से गद्दारी करने के जुर्म में मिली 40 साल की सजा

काहिरा: मिस्र की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सैन्य और खुफिया बलों से जुड़ी गोपनीय जानकारी कतर को उपलब्ध कराने के आरोप में 40 साल कैद की सजा सुनाई है।

काहिरा की अदालत ने इस मामले में छह अन्य आरोपियों की मौत की सजा बरकरार रखते हुए दो अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा पाने वाले सभी लोग प्रतिबंधित मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्य हैं। इन लोगों पर गोपनीय दस्तावेज कतर को लीक करने और अलजजीरा चैनल को बेचने का आरोप है। पूर्व राष्ट्रपति मुर्सी को तीन और मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। इनमें 2011 के जेल ब्रेक और कैदियों को सामूहिक रूप से भगाने के मामले में फांसी और फिलीस्तीनी ग्रुप के लिए जासूसी के मामले में आजीवन कारावास की सजा शामिल है।

15 साल की अतिरिक्त सजा भी मिली

इसके साथ ही मोरसी को राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी दस्तावेज चुराने के जुर्म में काहिरा की अदालत ने 15 साल जेल की सजा सुनाई। ऐसे में उनकी कुल सजा 40 साल हो जाती है। अदालत ने सात मई को सुनाए गए एक फैसले की भी पुष्टि कर दी, जिसमें छह को मौत की सजा सुनाई गई थी। अदालत को प्रारंभिक फैसले के बाद मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती शावकी आलम से सजा पर सलाह लेनी थी, जो देश में सबसे बड़े धार्मिक नेता हैं।

मिस्र के कानून के मुताबिक, मौत की सजा पर मुफ्ती के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। अदालत उनकी राय से बंधा हुआ नहीं है, लेकिन उनका आदर करता है। जिन लोगों को मौत की सजा दी गई है, उनमें अल जजीरा चैनल के पूर्व समाचार निदेशक इब्राहिम हेलाल भी शामिल हैं। वे मिस्र में नहीं हैं और उनकी अनुपस्थिति में यह फैसला सुनाया गया है।

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