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कांग्रेस ख़ेमे में ख़ुशी की लहर, इस जगह उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को चटाई धूल


2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी केंद्र में ‘एक बार फिर मोदी सरकार’ का गठन कर अब अपने अगले मिशन की तैयारियों में जुट गई है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अब भाजपा की निगाहें मुख्य तौर पर दिल्ली और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों पर लगी हुई हैं।

कांग्रेस

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और पश्चिम बंगाल में टीएमसी से मुकाबले के लिए पार्टी ने अपनी रणनीति अभी से बनानी शुरू कर दी हैं। हालांकि विधानसभा चुनावों की इन तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। राजस्थान में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी करते हुए भाजपा को 5 सीटों पर समेट दिया है।

8 सीटों पर लहराया कांग्रेस का परचम

दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में 10 जिलों के स्थानीय निकाय उपचुनाव में 16 वार्डों के लिए चुनाव हुआ था, जिनके परिणाम बुधवार देर शाम जारी किए गए। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी करते हुए इन 16 वार्डों में से 8 सीटों पर जीत का परचम लहराया है।

वहीं, राजस्थान की सभी लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा केवल 5 सीटें ही हासिल कर पाई। 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। राजस्थान के अलवर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, चुरू, धौलपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, करौली और श्रीगंगानगर में बीते 10 जून को 16 वार्डों के लिए मतदान हुआ था, जिसका परिणाम बुधवार देर शाम जारी किया गया।

कौन कौन सी सीटें जीती कांग्रेस

राजस्थान राज्य चुनाव आयोग की ओर से घोषित किए गए नतीजों के मुताबिक स्थानीय निकाय के इस उपचुनाव में कांग्रेस ने खैरथल, बहरोड़, जहजपुर, इंदरगढ़, सुजानगढ़, नोहर, शाहपुरा और हिंडौन में एक सीट हासिल की है। वहीं, भाजपा ने वीर, छपार, बारी और टोडाभीम के अलावा हिंडौन में एक सीट जीती है।

चुनाव नतीजों के मुताबिक, हनुमानगढ़ जिले के रावतसर से दो निर्दलीय उम्मीदवार जीते है, जबकि तीसरे प्रत्याशी ने श्रीगंगानगर जिले के गजसिंहपुर में जीत दर्ज की है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के खेमे में घमासान छिड़ा हुआ था। ऐसे में निकाय चुनाव की यह जीत कांग्रेस के लिए थोड़ी सी राहत लेकर आई है।

कांग्रेस में छिड़ा है घमासान

गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने जबरदस्त वापसी करते हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत का परचम लहराया है। भाजपा ने ना केवल सभी सीटों पर जीत हासिल की है, बल्कि उसके उम्मीदवारों का औसत वोट शेयर भी पिछली बार के 54.08 फीसदी से बढ़कर 60.5 फीसदी तक पहुंच गया है।

2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को यहां सभी 25 सीटों पर जीत मिली थी। इससे पहले हाल ही में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को हराकर राजस्थान की सत्ता हासिल की थी। इस हार के बाद राजस्थान में भाजपा के लिए वापसी करना एक बड़ी चुनौती माना जा रहा था।

राहुल गांधी के बयान से बढ़ी हचलच

वहीं, राजस्थान में कांग्रेस की हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के समर्थक एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही इस बात को कह चुके हैं कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने अपने बेटे को पार्टी से ऊपर रखा।

हालांकि, अशोक गहलोत ने एक इंटरव्यू के दौरान स्पष्ट रूप तौर पर कहा कि राजस्थान में नुकसान की जिम्मेदारी संगठन और सरकार दोनों की है। इसके बाद कांग्रेस के दो बड़े और सचिन पायलट खेमे के दो नेताओं ने अशोक गहलोत के ऊपर सवाल खड़े कर दिए। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच किसी भी तरह के मतभेद से इंकार किया और ऐसी खबरों को भ्रामक बताया।

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