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भारत ने जीता जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप

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लखनऊ: भारतीय हॉकी टीम ने 15 साल के बाद जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप जीता है. आज जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप का फाइनल था जिसमे भारत ने बेल्जियम को 2-1 से हराया.

भारत की ओर से दोनों गोल मैच के पहले हाफ में दागे गए. गुरजंत सिंह ने मैच के 8वें मिनट में भारतीय टीम के लिए पहला गोल किया. सिमरनजीत सिंह ने 22वें मिनट में दूसरा गोल दागकर टीम को 2-0 की बढ़त दिला दी. बेल्जियम ने मैच के 78वें मिनट में अपनी टीम के लिए एकमात्र गोल दागा.

पहले ही मिनट से भारतीय टीम ने अपने आक्रामक तेवर जाहिर कर दिए थे और तीसरे मिनट में उसे पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला. मनप्रीत के स्टॉप पर हरमनप्रीत हालांकि इसे गोल में नहीं बदल सके. इसके तीन मिनट बाद भारत को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन इसे भी गोल में नहीं बदला जा सका.

भारतीयों ने हमले करने का सिलसिला जारी रखा और गुरजंत ने टीम का खाता खोला. सुमित के स्कूप से गेंद को पकड़ते हुए गुरजंत ने शॉट लगाया और गोलकीपर के सीने से टकराकर गेंद भीतर चली गई. भारत की बढ़त 10वें मिनट में दोगुनी हो जाती, लेकिन नीलकांत शर्मा गोल के सामने आसान मौका चूक गए.

इस दौरान सारा मैच भारतीय सर्कल में हो रहा था, लेकिन 20वें मिनट में बेल्जियम ने पहला हमला बोला. सुमित की अगुवाई में भारतीय डिफेंस ने उसे नाकाम कर दिया. भारतीय फॉरवर्ड पंक्ति ने गजब का तालमेल दिखाते हुए कई मौके बनाए और बढ़त दोगुनी कर दी. हरमनप्रीत मैदान के दूसरे छोर से गेंद को लेकर भीतर आए और नीलकांत को पास दिया, जिसने गुरजंत को गेंद सौंपी और बायें फ्लैंक से गुरंजत से मिले पास पर सिमरनजीत ने इसे गोल में बदला. बेल्जियम को पहले हाफ में 30वें मिनट में मिला एकमात्र पेनल्टी कॉर्नर बेकार गया. पहले हाफ में भारत की 2-0 से बढ़त बरकरार रही.
दूसरे हाफ में भी आक्रामक हॉकी का सिलसिला जारी रहा और 47वें मिनट में भारत को तीसरा पेनल्टी कॉर्नर मिला, हालांकि कप्तान हरजीत गेंद को रोक नहीं सके. भारत ने एक और आसान मौका गंवाया, जब गुरजंत विरोधी गोल के भीतर अकेले गेंद लेकर घुसे थे, लेकिन गोल पर निशाना नहीं लगा सके. रिबाउंड पर परविंदर सिंह भी गोल नहीं कर सके.

अगले मिनट के भीतर भारत को दो पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन बेल्जियम के गोलकीपर लोइक वान डोरेन ने दोनों शॉट बचा लिए. अंतिम पल में बेल्जियम को मिले पेनल्टी कॉर्नर को फेब्रिस ने गोल में बदला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विजेता भारतीय टीम को वर्ल्ड कप ट्रॉफी प्रदान की. राज्यपाल राम नाइक ने खिलाड़ियों को सम्मानित किया. भारतीय हॉकी प्रेमियों ने ऐसा मंजर बरसों बाद देखा जब टीम के हर मूव पर दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लग रहे थे. मैदान के चारों ओर दर्शक दीर्घा में तिरंगे लहरा रहे थे.

हूटर के साथ ही कप्तान हरजीत सिंह की अगुवाई में भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान पर भंगड़ा शुरू कर दिया. उनके साथ दर्शक भी झूम उठे. खुशी के मारे कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके.

भारत तीसरी बार जूनियर वर्ल्‍ड कप के फाइनल में पहुंचा था. इससे पहले 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारतीय टीम ने अर्जेंटीना को 6-1 से हराकर एकमात्र जूनियर वर्ल्‍ड कप जीता था. वहीं 1997 में इंग्लैंड में हुए टूर्नामेंट के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराया था. भारत 11 साल पहले रोटरडम में कांस्य पदक के मुकाबले में स्पेन से पेनल्टी शूटआउट में हार गया था और उस समय भी टीम के कोच हरेंद्र सिंह ही थे.

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