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नरेंद्र मोदी के अच्छे दिनों की खुल गई पोल, जानिये इसके पीछे का राज़

हम आपको बता दें कि आज कल के युवाओं के लिए रोजगार पाना पहाड़ तोड़ने से कम नहीं है. हम आपको येह भी बता दें कि युवाओं को रोजगार तो मिल नहीं रहा है और ऊपर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसी बात कह डाली ‘बेरोजगारी से अच्छा है युवा मजदूरी करके पकौड़े बेचें’.

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पीएम नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद देखते ही देखते पकौड़ा रोजगार का मजाक पूरे देश में उड़ने लगा. टीवी न्यूज चैनल आजतक ने देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर कुछ ऐसे आंकड़े पेश किए हैं, जो युवाओं के लिए चिंता का विषय है.

बता दें, ये सभी सरकारी आंकड़े हैं, जो श्रम ब्यूरो से लिए गए हैं. आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया के सबसे ज्यादा बेरोजगारों का देश बन गया है. आपको बता दे 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी ने सत्तारूढ़ मनमोहन सरकार के मुकाबले अपने कार्यकाल के दौरान प्रति वर्ष 1 करोड़ नई नौकरी पैदा करने का वादा किया था.

भारत की 11 फीसदी आबादी लगभग 12 करोड़ लोग बेराजगार हैं. 2015-16 में बेरोजगारी की दर 5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. जहां 12 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, वहीं 2015 में सिर्फ 1 लाख 35 हजार लोगों को ही नौकरी मिली. वहीं चार साल से 550 नौकरियों रोज खत्म हो रही हैं. इन चार सालों में महिलाओं की बेरोजगारी दर 8.7 तक पहुंच गई है. श्रम रोजगार की रिपोर्ट कहती हैं कि स्वरोजगार के मौके घटे हैं, और नौकरियां कम हुई हैं.

कहते हैं कि पढ़-लिख लोगे, तो एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी लेकिन आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारों में पढ़े-लिखे युवाओं की तादाद ही सबसे ज्यादा है. जिसमें 25 फीसदी 20 से 24 आयुवर्ग के हैं, जबकि 25 से 29 वर्ष की उम्र वाले युवकों की तादाद 17 फीसदी है. 20 साल से ज्यादा उम्र के 14.30 करोड़ युवाओं को नौकरी की तलाश है. विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ता बेरोजगारी का यह आंकड़ा सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय है.

 संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारत में बेरोजगारी वर्तमान समय से और बढ़ सकती है. जो बेरोजगार युवाओं के लिए खतरे की घंटी है.

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