बीजिंग/ वाशिंगटन: भारत न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) में एंट्री के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है, तो दोस्त अमेरिका भी अपने स्तर पर भारत के ग्रुप में प्रवेश को लेकर कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने NSG के सदस्यों से कहा कि, वो बैठक के दौरान एनएसजी में शामिल होने संबंधी भारत के आवदेन पर विचार करें और उसे समर्थन दें।
वहीं चीन ने फिर एनपीटी का राग अलापते हुए कहा है कि, अगर भारत को ग्रुप में एंट्री मिलती है तो पाकिस्तान को भी मिले। जब से भारत ने एनएसजी में प्रवेश की कवायद तेज की है, चीन ने खुलकर विरोध किया है। पीएम मोदी ने हाल ही में विदेश यात्राएं कर स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको को समर्थन के लिए राजी किया, लेकिन चीन ने भारत की एंट्री एनएसजी में रोकने की भरसक कोशिश की। एक तरफ जहां अमेरिका, भारत की एंट्री के लिए बाकी सदस्य देशों को मना रहा है, वहीं चीन, पाकिस्तान के लिए वकालत कर रहा है।
अमेरिका का समर्थन
अमेरिका ने कहा कि ‘‘हमारा मानना है और यह कुछ समय से अमेरिका की नीति रही है कि भारत सदस्यता के लिए तैयार है और अमेरिका भाग लेने वाली सरकारों से अपील करता है कि वे एनएसजी की पूर्ण बैठक में भारत के आवेदन को समर्थन दें।’’ व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘ किसी भी आवेदक को समूह में शामिल करने के लिए भाग लेने वाली सरकारों को सर्वसम्मति से निर्णय पर पहुंचने की आवश्यकता होगी और अमेरिका, भारत की सदस्यता की निश्चित रूप से वकालत करेगा।’’ अर्नेस्ट का बयान ऐसे समय में आया है जब चीन ने कहा है कि भारतीय की सदस्यता का मामला एनएसजी की बैठक के एजेंडे में नहीं है।
चीन का अड़ंगा
चीन के सरकारी मीडिया ने पाकिस्तान के परमाणु रिकॉर्ड का बचाव करते हुए कहा है कि, परमाणु प्रसार के लिए जिम्मेदार ए. क्यू. खान को सरकार का समर्थन नहीं था और एनएसजी में प्रवेश के लिए जो भी छूट भारत को दी जाती है, वह पाकिस्तान को भी दी जानी चाहिए।
चीन ने पाकिस्तान का किया बचाव
सरकारी ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया, ‘‘भारत जहां परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने की कोशिश कर रहा है, वहीं वह पाकिस्तान को उसके खराब परमाणु प्रसार रिकॉर्ड के आधार पर रोकता है। असल में पाकिस्तान की ओर से जो परमाणु प्रसार किया गया, वह तो पाकिस्तान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान ने किया था और यह पाकिस्तानी सरकार की आधिकारिक नीति नहीं थी।’’
सुषमा ने दिया था बयान
बीते दिनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था, ‘हम एनएसजी में हमारे प्रवेश का समर्थन करने के लिए चीन को मना लेंगे।’ चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा था, ‘‘हम समझ सकते हैं कि एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देश एनएसजी में अपने प्रवेश को लेकर चिंतित हैं। लेकिन चूंकि एनएसजी अब भी इस मुद्दे पर बंटा हुआ है, इसलिए सोल में होने वाले वाषिर्क सम्मेलन में प्रवेश के मुद्दे पर बात करना अभी परिपक्व नहीं होगा।’’