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मोदी सरकार बनाम आरबीआई: मोदी सरकार की इस हरकत के कारण रघुराम राजन को आना पड़ा आरबीआई के पक्ष में

आपको यह जानकर काफी हैरानी होगी कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केन्द्र की मोदी सरकार के बीच जारी लड़ाई के बीच जहाँ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भारत सरकार को कदम पीछे खींचने की सलाह दे रही है, वहीं अब पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि एक स्वतंत्र और स्वायत्त केन्द्रीय बैंक से राष्ट्र को फायदा ही पहुंचता है| हम आपको बता दें कि एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में रघुराम राजन ने कहा कि भारत सरकार और आरबीआई के बीच मचे संग्राम पर तभी लगाम लग सकता है जब दोनों एक-दूसरे की मंशा और स्वायत्तता का सम्मान करें|

आरबीआई और केंद्र सरकार की ये की लड़ाई आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के द्वारा केंद्र सरकार पर आरबीआई की स्वायत्तता में दख्ल देने के आरोप लगाने के बाद शुरु हुई, दरअसल केंद्र की मोदी सरकार की नजर इस समय आरबीआई के पास रिजर्व में रखे 9.6 लाख करोड़ रुपए पर है जिसको केन्द्र सरकार अपने कब्जे में लेना चाहती है|

रघुराम राजन आये RBI के पक्ष में, मोदी सरकार की नजर RBI के 9.60 लाख करोड़ के रिजर्व पर!

केंद्र की मोदी सरकार के आने के बाद देश में हालात बहुत खराब होते जा रहें है| बैंको की बदहाली, गिरती अर्थव्यवस्था एवं निवेशकों का भारत से मन उठना आदि कई ऐसे मुद्दे है जिनका सामाधन करने में मोदी सरकार पूरी तरह से विफल हो चुकी है ऊपर से नोटबन्दी एवं जीएसटी जैसे फैसलों से हालात और भी ज्यादा खराब हो गए| अब ऐसे में कोई भी सामाधन न मिलने पर मोदी सरकार आरबीआई के रिजर्व पर अपना कब्जा जमाकर उस पैसे को इस्तेमाल करना चाहती है|

पर मोदी सरकार के इस फ़ैसले के बाद से आरबीआई के भविष्य पर भी संकट के बादल मंडराने की संभावना है आज के समय कई सारे सरकारी विभागों की स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब हो चुकी है ऐसे में अगर मोदी सरकार आरबीआई पर भी अपना कब्जा कर लेती है तो आरबीआई की हालत भी देश के अन्य बैंको के जैसे होने की पूरी पूरी संभावना है|

केन्द्र सरकार ने 19 नवंबर को होने आरबीआई बोर्ड बैठक में अपना अहम एजेंडा सामने करते हुए बोर्ड में रिजर्व बैंक गवर्नर की भूमिका को कम करने का काम कर सकती है|