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रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिया यह बड़ा बयान

ravish kumar said that before leaving varanasi prime minister narendra modi should fired vice chancellor of bhu

पुलिस और तोप में कुलपतियों का भरोसा बढ़ता जा रहा है। जब बीएचयू की छात्राओं ने उनके खिलाफ हो रही छेड़खानी के खिलाफ आवाज़ उठाई तो वहां के कुलपति ने छात्राओं से बात करना बंद कर दिया। लाठीचार्ज एक बहुत ही शर्मनाक घटना है। क्या सत्ता के दम पर कुलपति ये बताना चाहते हैं कि लड़कियों का कोई हक नहीं इस लोकतंत्र में? लड़कियों से कहा गया कि तुम रेप कराने के लिए रात में बाहर जाती हो। तुम जेएनयू बना देना चाहती हो। मतलब छेड़खानी सहो और उसके ख़िलाफ़ बोलने पर ऊपर से चरित्रहनन।

52 घंटे तक धरना चला और वीसी बात नहीं कर सके। प्रोक्टोरियल बोर्ड के दफ्तर के सामने किसी लड़की के कपड़े फाड़ने के प्रयास हुए, दबोचा गया, क्या इसे कोई भी समाज इसलिए सहन करेगा क्योंकि वे ‘तेज’ हो गई हैं ! शर्मनाक है। कमाल ख़ान से लड़कियों ने कहा कि क्या हमें कोई भी छू सकता है, कहीं भी दबोच सकता है? इन सवालों को टालने की जगह के लिए राजनीति बताना और भी शर्मनाक है। आप जाँच करते, बात करते। लाठीचार्ज वो भी लड़कियों पर? क्या हिन्दू मुस्लिम टापिक पर इतना भरोसा हो गया है कि आप समाज को कैसे भी रौंदते चलेंगे और लोग सहन कर लेंगे?

ये नारा किस लिए है? बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ। संसद विधान सभा में महिला आरक्षण की याद आई है, इसलिए नहीं कि देना था, इसलिए कि आर्थिक बर्बादी से ध्यान हटाने के लिए ये मुद्दा काम आ सकता है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ कराने का मुद्दा भी यही है। ध्यान हटाने को लिए बड़ा मुद्दा लाओ। तो इस लिहाज़ से भी बीएचयू की लड़कियाँ सही काम कर रही हैं। वो छेड़खानी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा कर बता रही है कि रायसीना हिल्स सिर्फ दिल्ली में नहीं है। वो कहीं भी हो सकता है।

भूल गए आप हरियाणा की दसवीं क्लास की छात्राओं के आंदोलन को? इसी मई में 95 लड़कियाँ अनशन पर बैठ गईं थीं। बड़ा स्कूल दूर था और रास्ते में उनसे छेड़खानी होती थी। इसलिए धरने पर बैठ गई। क्या वे भी वामपंथी थीं ? क्या निर्भया के हत्यारों के ख़िलाफ़ वारंटी रायसीना पहुँचे थे? वैसे रायसीना पर पहुँचने की शुरूआत वामपंथी संगठनों ने की थी लेकिन बाद में जो हज़ारों लड़कियाँ पहुँचती कहीं क्या वे भी वामपंथी थीं ?

वामपंथी होंगी तो भी किस तर्क से रात में कैंपस में घूमना रेप कराने के लिए घूमना है। ये कोई वीसी बोल सकता है? क़ायदे से प्रधानमंत्री को बनारस छोड़ने से पहले इस वाइस चांसलर को बर्ख़ास्त कर देना चाहिए। छात्राओं से बात करने का साहस नहीं जुटा सके तो कोई बात नहीं, बर्ख़ास्त तो कर सकते हैं। कुछ नहीं कर सकते तो तोप ही रखवा दें ताकि लगे तो कि कुछ कर रहे हैं। कुछ सुन रहे हैं ।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ज़िला प्रशासन ने कई बार वीसी से कहा कि बात कीजिये। प्रधानमंत्री को इसी की रिपोर्ट माँगनी चाहिए कि वीसी ने क्या क्या किया। लड़कियों का धरना स्वत:स्फ़ूर्त था। कोई समर्थन करने आ गया तो राजनीतिक हो गया? वीसी ने राजनीतिक बता कर बात करने से इंकार किया तो क्या वे ख़ुद पक्षकार नहीं बन गए? वे किस राजनीति के साथ हैं?

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