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अब इन 6 सरकारी बैंकों पर नहीं लागू होंगे आरबीआई के नियम, आपके खाते और पैसे पर कुछ इस तरह से होगा इसका असर


आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आरबीआई यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और इलाहाबाद बैंक समेत छह सरकारी बैंकों को आरबीआई अधिनियम की दूसरी अनुसूची से बाहर कर दिया है. इससे हमें यह बात साफ़ पता चलती है कि अब इन बैंकों पर आरबीआई के नियम लागू नहीं होंगे.

दरअसल इन बैंकों का अन्य बैंकों के साथ विलय हो गया है. इसीलिए इन बैंकों के नाम को हटा दिया गया हैं. इन छह बैंक में सिंडिकेट बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं. इस फैसले से बैंक के ग्राहकों पर कोई भी असर नहीं होगा. क्योंकि, मर्जर के बाद इन बैंकों के ग्राहक मर्ज होने वाले बैंक के कस्टमर बन चुके हैं.

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में 10 सरकारी बैंकों के विलय का ऐलान किया था. इस योजना के मुताबिक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुआ है. विलय के बाद पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन गया है.

सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में हो रहा है. इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में होगा. आंध्र बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में हो गया है.

सिंडिकेट बैंक 27 मार्च से कर चुका हैं अपना कारोबार बंद

रिजर्व बैंक की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि सिंडिकेट बैंक को 01 अप्रैल 2020 से आरबीआई अधिनियम 1934 की दूसरी अनुसूची से बाहर किया गया है, क्योंकि 27 मार्च 2020 की अधिसूचना के हिसाब से एक अप्रैल 2020 से इसके बैंकिंग कारोबार बंद हो गये हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक ने अन्य पांच सरकारी बैंकों के संबंध में इसी तरह की अधिसूचना जारी की हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के अधिनियम की दूसरी अनुसूची में शामिल बैंक को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक) के रूप में जाना जाता है. इन छह बैंकों का एक अप्रैल से अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ विलय कर दिया गया है.

मर्जर के चलते लिया ये फैसला

ओबीसी और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का, आंध्र बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में, और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय कर दिया गया है. इन विलय के बाद अब देश में सात बड़े और पांच छोटे सरकारी बैंक हैं. साल 2017 में देश में 27 सरकारी बैंक थे, जो अब विलय के बाद 12 रह गये हैं.

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