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खुलासा: अपने निजी फायदे के लिए ली थी अमेरिका-ब्रिटेन ने सद्दाम हुसैन की जान

ब्रिटेन, लंदन : कई वर्षों से विवाद का विषय रहे ब्रिटेन अमेरिका द्वारा ईराक आक्रमण पर जारी हुई एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन ने ईराक के खिलाफ में उतरने से पहले शांति स्थापित करने के तमाम उपायों का इस्तेमाल नहीं किया था, जिससे कि उस भीषण युद्ध को टाला भी जा सकता था जिसमें ब्रिटिश सैनिकों सहित अनगिनत मासूम मारे गये थे।

ब्रिटेन के इस आधिकारिक जांच आयोग के अध्यक्ष सर जॉन चिलकॉट के अनुसार, ईराक पर सैन्य हमला अंतिम उपाय नहीं था। ईराक पर हमला करने वाले देशों ने खुलकर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया था और कई मासूमों की जानें ली थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, “इसके अलावा अन्य उपायों पर भी विचार किया जाना चाहिए था जो नहीं किया गया। इस रिपोर्ट से उन सवालों के जवाब पाने में मदद मिलेगी जो 2003 से 2009 के दौरान मारे गए ब्रिटेन के 179 सैनिकों के परिवारों के मन हैं।“ अब संभावना बढ़ी है कि युद्ध विरोधी लॉबी और युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिजन अब ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टॉनी ब्लेयर पर माफी मांगने का दबाव बढ़ाएंगे।

जांच के प्रमुख चिलकॉट ने उम्मीद जतायी है कि, “अब से भविष्य में इतना बड़ा कोई भी सैन्य अभियान सटीक विश्लेषण और राजनीतिक विवेक को पूरी तरह से प्रयोग में लाने के बाद ही मुमकिन हो सकेगा। चिलकॉट का यह भी मानना है कि ईराक में जन तबाही मचाने वाले हथियारों के ज़खीरे की बात कही गई थी वो कोरा झूठ था। जिस तरह से उसे पेश किया वो तर्कसंगत और न्यायोचित नहीं था। यही नहीं इसके अलावा युद्ध के पश्चात् के बनाई गई तमाम योजनाएं भी पूरी तरह से गलत थीं। जॉन चिलकॉट ने यह विचार अपनी रिपोर्ट जारी करने के दौरान रखे। चिलकॉट की यह रिपोर्ट 12 भागों में पेश की गयी हैं! यह रिपोर्ट सात वर्षों की जांच के बाद प्रकाशित की गई है। बता दें कि, ईराक में हुए अमेरिका ब्रिटेन के संयुक्त आक्रमण को लेकर कई बार ऐसी आवाजें उठी है कि, इन दोनों देशों ने अपने स्वार्थपूर्ति के लिए जबरदस्ती ईराक पर युद्ध थोपा था जिसका खामियाजा आजतक ईराक भुगत रहा है।

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