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ढाका हमले पर तस्लीमा का विवादित बयान, इस्लाम को शांति का मज़हब कहना बंद करें

नई दिल्ली: बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका में हुए आतंकी हमले पर लेखिका तस्‍लीमा नसरीन ने कहा कि इस्लाम को शांति का धर्म कहना बंद करें. इसके साथ ही उन्होंने इस तर्क को भी खारिज किया कि गरीबी किसी को आतंकवादी बना देती है. हमले को अंजाम देने वाले हमलावर पढ़े-लिखे और समृद्ध परिवार से वास्ता रखने वाले थे.

कई ट्वीट करते हुए तस्लीमा ने सलीम समद का हवाला देते हुए कहा कि बांग्लादेश का वैश्विक आतंक में एक प्रमुख योगदान रहा है. इससे पहले उन्‍होंने हमलावरों के संबोधन के मुद्दे पर कहा कि उन्‍हें इस्‍लामी आतंकी क्‍यों नहीं कहा जा रहा है. मीडिया उन्‍हें गनमैन लिख रहा है. लेकिन उन्‍होंने लोगों को मारने और उनमें दहशत फैलाने से पहले अल्‍लाहू अकबर का नारा लगाया. क्‍या उन्‍हें इस्‍लामी आतंकी नहीं कहा जाना चाहिए था?.

तस्‍लीमा कई बार इस्‍लाम को लेकर कड़ी टिप्‍पणियां कर चुकी हैं. इसके चलते बांग्‍लादेश और भारत में उन्‍हें मुसलमानों के हमले भी झेलने पड़े हैं. तस्‍लीमा ने 1994 में बांग्‍लादेश छोड़ दिया था. उन्‍हें अल कायदा जैसे आतंकी संगठन से जान से मारने की धमकी मिल चुकी है.

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