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भारत देश में हो सकते हैं बड़े आतंकी हमले, सर्जिकल स्ट्राइक का जवाबी हमला

सर्जिकल ऑपरेशन के बाद देश में बड़े आतंकी हमले का खतरा!

नई दिल्ली: सूत्रों के अनुसार देश में हो सकता है बड़ा आतंकवादी हमला। गृह मंत्रालय ने देश के सब राज्यों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है की की सर्जिकल स्ट्राइक का बदला लेने के लिए किसी भी शहर में आतंकी हमले किये जा सकते हैं। राज्य की सुरक्षा इन्तेज़ामात को सही करें। हर आने जाने वाले पर कड़ी नजर रखें।

एलओसी पार हुए सर्जिकल अटैक को अंजाम देने के लिए जो ऑपरेशन भारतीय सेना ने किया, उसका कोई नाम नहीं रखा गया था।  लेकिन इसमें एक खास बात थी. ऑपरेशन का नाम ना रखकर उन सात टीमों को एक एक कोड नेम दिया गया था।  जिन्होंने बुधवार रात पीओके में घुसकर आतंकियों को मार गिराया. पता चला है कि सेना ने कुल 50 आतंकी मारे थे।  उस दौरन वेस्टर्न एयर कमांड फाइटर बेस ऑपरेशनल मोड में रखा गया था. सैटेलाइट रडार चेन और NTRO के ज़रिए 24×7 हालात पर नज़र रखी जा रही थी।

भारत की तरफ से हमले की तीन रणनीतियां बनीं थीं. लेकिन उसमें से तीसरे विकल्प पर NSA अजित डोभाल ने मुहर लगाई थी।  ABP न्यूज को मिली पीओके में सर्जिकल ऑपरेशन की मिनट दर मिनट जानकारी।  सभी कमांडो को बडीज और बॉडीज को छोड़ कर न आने की हिदायत दी गई थी।

ऑपरेशन के लिए अमावस्या के पास की रात खासकर चुनी गई थी।  ताकि घुप्प अंधेरे में परछाई भी नजर ना आए. बुधवार की रात करीब 12.30 बजे भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स कमांडो की दो यूनिट उत्तरी कमान के दो खुफिया ठिकानों से हेलीकॉप्टर के जरिए एलओसी के बेहद करीब उतरीं।

ये दोनों यूनिट थीं, 4 पैरा और 9 पैरा. इन दोनों यूनिट की कुल सात प्लाटून हमले में शामिल थी।  क्योंकि इन्हें वो सात लॉन्चिंग पैड्स नष्ट करने थे. जहां से आतंकी घुसपैठ करने ही वाले थे. हर प्लाटून में 15-20 कमांडो थे।  एलओसी पर पहले से ही डोगरा और बिहार रेजिमेंट के घातक कमांडो मौजूद थे. जैसे ही स्पेशल फोर्सेज़ के कमांडोज़ की ये सातों प्लाटून एलओसी पर पहुंची. डोगरा और बिहार रेजिमेंट के घातक कमांडोज़ ने मोर्टार से सीमा पार गोले दागने शुरु कर दिए. कमांडोज़ के पास थी ये खास कर्ल-गुस्तोव राइफल। जो एक ग्रेनेड लॉन्चर है, इससे निकलने हुए गोले भारी तबाही मचाते हैं. साथ ही आग लगाने वाले खास कैमिकल भी थे. जिससे बंकरों में पलक झपकते ही आग लगायी जा सके. हर टीम के पास ड्रोन कैमरे और नाइट विजन कैमरे भी थे. जिनकी मदद से घुप्प अंधेरे में भी साफ तस्वीरें और अच्छी क्वालिटी के वीडियो बनाए जा सके।

अमावस्या से पास की रात को खास तौर से चुना गया. ताकि घुप्प अंधेरे में ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सके।

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