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उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों से लाखों की संख्या में हो रहे पलायन पर चुप्पी क्यों?

कैराना में 300 लोग पलायन कर गए तो उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक बवाल हो गया। उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों से लाखों की संख्या में हो रहे पलायन पर चुप्पी क्यों?संवाद गोष्ठी में आडिटोरियम में मौजूद लोगों के बीच से आए इस सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह असहज हो गए।

फिर हालात पर चिंता जताते हुए बोले कि, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पलायन गंभीर मसला है। इस बारे में राज्य सरकार को पत्र लिखकर वस्तुस्थिति की जानकारी मांगेंगे।शुक्रवार को ओएनजीसी आडिटोरियम में उत्तराखंड पब्लिक फोरम की ओर से आयोजित बुद्धिजीवियों से संवाद गोष्ठी में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह दून के बुद्धिजीवियों से रूबरू हुए। गोष्ठी के बीच से पर्चे में लिखकर पूछे गए एक सवाल को पढ़ते हुए गृह मंत्री थोड़ा असहज हो गए।

सवाल का मजमून यह भी निकाला गया कि कैराना से पलायन का मामला राजनीतिक है तो इस पर हर कोई चिंता जता रहा है। वहीं, चीन समेत अन्य देशों की सीमा से सटे उत्तराखंड से हजारों गांव वीरान हो गए हैं। इस पर कोई राजनेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है। यह मसला इसलिए भी गंभीर हो जाता है कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिलों में भारत सरकार बार्डर एरिया प्रोजेक्ट के तहत सड़क, परिवहन, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं को बढ़ा रही है। उत्तराखंड के पांच सीमांत जिलों को बार्डर एरिया प्रोजेक्ट के मद में 35 करोड़ रुपये सालाना बजट केंद्र की ओर से दिया जाता है। इसके बावजूद यहां के कई गांवों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और रोजगार के सीमित संसाधन के चलते लोग पलायन को मजबूर हैं। राजनाथ सिंह ने इसे गंभीर मसला माना और कहा कि राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगकर ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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