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योगी सरकार के मीट बैन को लेकर हाई कोर्ट ने दिया यह बड़ा बयान

allahabad high court decides that meat ban cannot be implemented via yogi government

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह बात बिल्कुल साफ़ करदी है कि योगी सरकार गोश्त पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा सकती है. संविधान के अनुसार लोगों को अपनी पसंद का खाना खाने का पूरा अधिकार है और यह मामला लोगों की रोज़ी-रोटी से जुड़ा हुआ है।

हाई कोर्ट ने यह भी साफ़ किया की अवैध बूचड़खाने बंद हो और तुरंत एक हफ्ते के भीतर लाइसेंस देने पर विचार हो तथा ये भी कहा, जिले में 2 किलोमीटर पर मीट की दुकानों की जगह दी जाए. राज्य सरकार लोगों के खान पान के स्वभाव को नियंत्रित नहीं कर सकती. कोर्ट ने योगी सरकार से 30 तारीख तक जवाब मांगा है. लखनऊ बेंच ने कहा कि 31 मार्च तक जिन दुकानों को लाइसेंस नहीं मिले थे, उन्हें 1 हफ्ते में लाइसेंस देने पर हमारे गाइडलाइंस के मुताबिक विचार हो।

हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार अवैध बूचड़खानों को बंद करें, लेकिन पूरी तरह से मीट पर बैन नहीं लगाया जा सकता. संविधान में आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जिंदगी जीने और उनकी पसंद के खान-पान का अधिकार है. लखीमपुर खीरी नगर परिषद के रहने वाले मीट व्यपारी ने अपनी याचिका में कहा था कि वह बकरे के मीट का व्यापारी है और बार-बार अपील करने के बावजूद उसका लाइसेंस रिन्यू नहीं किया जा रहा है. लाइसेंस रिन्यू नहीं होने से मीट व्यपारी पर जीविका गहरा संकट छा गया है।

 योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अगले ही दिन से ही सभी अवैध तरीके से चल रहे बूचड़खानों को बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मीट व्यापारी हड़ताल पर चले गए. सरकार पर आरोप लगे कि इस कदम का मकसद लोगों को मीट खाने से रोकना है, मीट व्यापारियों ने जब योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, उसके बाद यह हड़ताल खत्म हुई।

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