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नशे में एक्सीडेंट से होने वाली मौत को अब माना जायेगा ‘गैर इरादतन हत्या’

central government has made a decision that death death due to drunk driving and accident will be treated as a planned killing

नई दिल्ली: केंद्र सरकार सड़क हादसों को रोकने के लिये यातायात नियमों को काफी सख्त बना रही है और इतना सब कने के बाद भी सड़क हादसों की संख्या में कमी नहीं आ रही है. सरकार अब यह फैसला ले रही है कि अगर कोई शराब पीकर गाड़ी चलाता है और दुर्घटना के कारण किसी की मौत हो जाती है तो उसे गैर इरादतन हत्या के तौर पर शामिल किया जायेगा.

एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि शराब पीकर वाहन चलाने के चलते होने वाली मौतों को गैर इरादतन हत्या के तौर पर शामिल करने के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत जरूरी कानून में संशोधन किया जाना चाहिए.

परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी संसद की स्थाई समिति ने मोटर वाहन विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि शराब पीकर वाहन चलाना सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है. इस बुराई से सख्ती से निपटने की जरूरत है. शराब पीकर वाहन चलाने को गैर इरादतन हत्या के तौर पर शामिल करने के लिए सरकार आवश्यक कानून में संशोधन कर सकती है. अभीतक इस तरह के मामलों में आईपीएस की धारा 304-ए के तहत लापरवाही के कारण हुई मौत में दर्ज किए जाते हैं. जिसके तहत आरोपी को दो साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों, की सजा का प्रावधाना है.

समिति ने यह भी सुझाव दिया कि यदि शराब पीकर वाहन चलाने वाला चालक कोई दुर्घटना करता है तो उसके कृत्य को केवल लापरवाही के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए, बल्कि उसे पहले से सोचे समझे अपराध के तौर पर लिया जाना चाहिए और शराब पीकर वाहन चलाने वाले चालक को घटना के परिणाम के आधार पर भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सजा दी जानी चाहिए.

आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही होती हैं. साल 2015 में 1.46 लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई थी, इनमें 6755 मामले शराब पीकर गाड़ी चलाने से हुई मौतों से जुड़े थे.

इसके अलावा संसदीय समिति ने मोटर वाहन अधिनियम में अन्य अपराधों के लिए जुर्माने में भारी बढ़ोत्तरी करने की भी सिफारशें की हैं. नाबालिग द्वारा ड्राइविंग के मामले में गाड़ी स्वामी या फिर बच्चे के अभिवावक को दंडित करने की सिफारिश की गई है.

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