मौलाना महमूद मदनी जो कि जामियाते-उलेमा-ए-हिंद, कानपुर के महासचिव हैं उन्होंने रविवार के दिन ख्वाजा अजमेरी मशायख कांफ्रेंस के दौरान यह बात कही है कि बूचड़खाने बंद होने के मुद्दे में मुसलमान न पड़ें क्योंकि यह मुद्दा तो किसानों का है। उन्होंने यह बात भी कही कि हिन्दुस्तान से तकरीबन 30,000 रुपये का गोश्त हर साल निर्यात होता है।
मुसलमानों को चाहिए कि वे वैध समेत हर तरह के स्लाटर हाउस साल भर के लिए बंद कर दें और मांस खाना भी बंद कर दें। फिर देखिए कि देश की अर्थव्यवस्था का क्या हाल होता है, और तब सत्ता में बैठे लोग बूचड़खाने बंद करने की कभी जुर्रत नहीं करेंगे। साथ ही कहा कि हिंदुस्तान में मुसलमान बाइ च्वॉइस हैं, बाइ चांस नहीं।
उन्होंने कहा कि हमारे पास इस्लामी मुल्क पाकिस्तान जाने का मौका था, लेकिन हमने ठुकरा दिया। हम देशभक्ति और अपने ईमान से समझौता नहीं कर सकते। प्रदेश की योगी सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान पानी का बताशा नहीं जो पानी गिरते ही डूब जाए। अभी सरकार पर नुक्ताचीनी नहीं की जा सकती, क्योंकि उसे कुछ ही दिन सत्ता में आए हुए हैं।
उन्होंने युवाओं से कहा कि वे बहकावे में न आएं और तालीम पर ध्यान दें। अभिभावक भी अपने बच्चों पर नजर रखें। मदनी ने कहा कि यह मुल्क हमारा सज्दागाह है और हमारी कर्मभूमि है। इसे हमारे पुरखों ने अपने खून से सींचा है। मुसलमान चुनावों में किसी को हराने की नीयत से वोटिंग करना छोड़ें। हमेशा किसी को जिताने के लिए वोट दें, नकारात्मक वोटिंग का बुरा असर होता है।
अगर योगी सरकार अच्छा काम करती है तो हम उसे जरूर सराहेंगे, लेकिन डर कर नहीं रहेंगे। उन्होंने महिलाओं के हित में चलाए जा रहे अभियान की सराहना की और कहा कि ऐसे अभियान चलाए जाते रहने चाहिए। आतंकवाद के मुद्दे पर मौलाना मदनी ने कहा कि जो लोग जेहाद की बात करते हैं वे जेहादी नहीं, बल्कि फसादी हैं। इस्लाम में एक बेगुनाह का खून इंसानियत का खून माना गया है।