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मोदी सरकार और किसानों के बीच आज हुई बैठक, सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर सुनाया बेहद अहम फैसला


हम आपको बता दें कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच तीन नए कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए आज हुई आठवें दौर की बातचीत भी बनेतीजा रही है। किसान नेताओं और सरकार के बीच अगली बैठक अब 15 जनवरी को होगी।

दिल्ली के विज्ञान भवन में आज सरकार की ओर से केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्यमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश और किसानों की ओर से 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए। बैठक से पहले दोनों ही पक्ष किसी नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन बैठक में कोई हल नहीं निकला और 15 जनवरी को फिर से बैठक की तारीख तय कर वार्ता खत्म कर दी गई।

बैठक में किसान नेताओं ने साफतौर पर सरकार से कहा कि तीनों कानून वापस लेने होंगे। वहीं सरकार ने कहा कि वो कानून में जहां आपत्ति हो वहां संशोधन के लिए तैयार है। किसानों ने साफ कर दिया कि वो कानून वापसी से कम पर मानने वाले नहीं हैं।

वो कानून वापस होने से पहले घर नहीं जाएंगे। जिसके बाद बैठक खत्म कर दी गई। किसान नेताओं से मुलाकात के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि कानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प किसानों की ओर से नहीं मिला। सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान यूनियन अगर कानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं।

आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन कानूनों को वापिस लिया जाए लेकिन देश में बहुत से लोग इन कानूनों के पक्ष में हैं। अभी हम आंदोलन कर रहे पक्ष से बात कर रहे हैं, अगर आवश्यकता पड़ी तो आने वाले समय में सरकार समर्थन कर रहे किसान संगठनों को भी बैठक में शामिल करने पर विचार करेगी। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि तारीख पर तारीख चल रही है।

बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज में बिल रद्द करने की मांग की। हम चाहते हैं बिल वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो। सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की बात नहीं मानी। अखिल भारतीय किसान सभा के नेता ने कहा कि बैठक में सरकार की ओर से हमें कहा गया कि कोर्ट में चलो।

हम कोर्ट में नहीं जाएंगे। हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। किसानों और सरकार के बीच अब तक आठ दौर की बातचीत हो चुकी है। अभी तक सिर्फ सरकार ने किसानों की दो मांगें- जिसमें पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने की बात मानी है।

अभी भी किसानों की मांगे यानी तीनों नए कानूनों को रद्द करना और एमएसपी पर कानून बनाने की बात पर सरकार राजी नहीं है। केंद्र सरकार इस साल तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं।

इसको लेकर किसान जून के महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों को कहना है कि ये कानून मंडी सिस्टम और पूरी खेती को प्राइवेट हाथों में सौंप देंगे, जिससे किसान को भारी नुकसान उठाना होगा।

ये आंदोलन जून से नवंबर तक मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब में हो रहा था। सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने पर 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली की और कूच करने का ऐलान कर दिया। इसके बाद बीते 44 दिन से किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। टिकरी, गाजीपुर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी किसान जमा हैं।

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