नई दिल्ली: 55 महीने से अच्छे दिनों की कल्पनाओं को हाथ हिला-हिलाकर बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 6 लाख करोड़ का दबे पांव कर्जा ले लिया जिसकी भनक भी लगने नहीं दे रहे हैं. नोटबंदी और जीएसटी के कारण आर्थिक हालात दिन पर दिन खराब होती जा रही है जिसके कारण केंद्र सरकार नए-नए कर्ज लेकर देश को कर्ज में डुबोती जा रही है.
आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग के हवाले से जो खबर आई है उसके मुताबिक सरकार ने वित्तीय घाटे को सकल राष्ट्रीय उत्पाद के 3.2 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखने की वचनबद्धता व्यक्त की है जिसके तहत 2017-18 की दूसरी छमाही में पूंजी बाजार से दो लाख आठ हजार करोड़ उधार लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. उन्होंने यह भी कहा कि अगले छह महीने के लिए 2 लाख 8 हजार करोड़ रुपए और भी उधार लेने की जरूरत पड़ेगी, जबकि 3 लाख 72 हजार करोड़ रुपया पहली तिमाही में ही सरकार उधार ले चुकी है.
नोटबंदी और जीएसटी के असर के चलते जीएसटी से जहां जुलाई में 94,000 करोड़ रुपया, वहीं उसमे 65000 करोड़ रुपए रिफंड के होने के बाद अगस्त में जीएसटी का आंकड़ा घटकर 90,000 हजार करोड़ हो गया जबकि सरकार को उम्मीद थी कि 92,000 करोड़ रुपया आएगा. इसके कारण आर्थिक हालत खराब होती जा रही है. उधर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खुद स्वीकार किया कि नोटबंदी के दौरान 31 दिसम्बर तक 99 फीसदी रकम बैंकों के पास वापस आ गई. मोदी की जो कालेधन लाने की और निकालने की योजना थी वह पूरी तरह से फ्लॉप होती नजर आ रही है.
उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार अपने कामों और विकास कार्यों के अलावा देश को दुनियाभर में छवि बनाने और कई देशों से आतंकवाद से लेकर व्यावसायिक संधियों को सफलता के रोज गुण गाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. उन्होंने हाल ही में जापान के सहयोग से अहमदाबाद से मुंबई के लिए 88,000 करोड़ के 0.1 फीसदी के लोन पर रकम उधार लेकर बुलेट ट्रेन चलाने की योजना का उद्घाटन कर दिया लेकिन यह भी कई लोगों के लिए सपना ही साबित होगा.