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गुजरात चुनाव के नतीजों को लेकर रवीश कुमार ने दिया था यह बयान

गुजरात चुनाव के नतीजों के दिन कभी इतने रोमांचक नहीं रहे। एक मानी हुई जीत अचानक उतार चढ़ाव में बदल गई। हम आपको बता दें कि गुजरात चुनाव सुबह नौ से दस के बीच बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए होश उड़ा देने वाला रहा होगा। एक पल में बीजेपी आगे निकलती थी तो दूसरे पल में कांग्रेस। कभी बराबर तो कभी आगे पीछे। जीत ने कांग्रेस बीजेपी दोनों से खेलना शुरू कर दिया। कभी इस हाथ से फिसलती तो कभी उस हाथ से। राजनीति की कमेंट्री आख़िरी ओवर की तरह होने लगेगी।

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उस एक घंटे का सटीक उदाहरण हॉकी या फ़ुटबॉल से मिलेगा। गोल पोस्ट के पास दोनों अपनी स्टिक से गेंदे पर क़ब्ज़ा जमा लेना चाहते थे। तभी कोई फ़ुर्तीला खिलाड़ी आया, गेंद पर लपका और दूसरी दिशा में दौड़ते हुए कांग्रेस के पोस्ट में गोल कर दिया। कांग्रेस के नेता बीजेपी के गोल पोस्ट के पास खड़े रह गए। आज के नतीजे का सारा रोमांच उस एक घंटे में था। बाद में सबकुछ वैसा ही हुआ जैसा पहले से कहा जा रहा था।

दो राज्यों में सरकार भाजपा की बन रही है। भाजपा और जनता को बधाई। गुजरात चुनाव भले ही मुद्दों पर नहीं लड़ा गया मगर लड़ाई बराबरी के जैसे हुई। जनता अपना काम करके जा चुकी है। बस अब कोई इन जानकारों और विश्लेषकों से भी घर जाने के लिए कह दे।

जो लोग मेरा मज़ाक उड़ा रहे हैं, मैं इतना ही कहूँगा कि आप मेरा नहीं अपना ही मज़ाक उड़ा रहे हैं। मैं सवाल करता हूँ । किसी को हराता या जीताता नहीं । मुझमें अपना नज़रिया रखने का साहस है । एक ताक़तवर और लोकप्रिय नेता के सामने खड़ा होकर बोल देने के लिए जो हौसला चाहिए वो मुझमें है। यह हौसला जेब में दस लाख करोड़ के होने से नहीं आता बल्कि लाखों में एक रवीश कुमार होने से आता है।

अपनी नौकरी, अपना चैन सबकुछ दाँव पर लगाकर लोगों के सवाल के साथ खड़ा होना सबके बस की बात नहीं। सूरत के व्यापारी जानते हैं। उनसे कभी नहीं कहा कि आप किसे वोट करेंगे। उन्होंने तकलीफ बताई तो उनकी बात उठा दी। यही मेरा काम है और यही करता रहूँगा। गुजरात की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को शानदार जीत दी है।

गोदी मीडिया बधाई क्या उनके चरणों में नागिन डाँस करेगा ही। इसलिए अगर मीडिया से सही मायने में किसी की बधाई मायने रखती है तो मेरी। मैं ख़ुद को महत्व नहीं देता। लेकिन जो लोग कल से मेरे बारे में अनाप शनाप बोल रहे हैं बस उनके लिए इस तेवर में कहा है। वे चाहें तो मार्केट में पता कर सकते हैं कि मेरी बधाई का कितना वज़न है!

वैसे गरियाने वालों को भी बधाई। हम सब इसी देश के लिए जीते मरते हैं। अलग राय हो सकती है मगर एक दूसरे से अलग नहीं है। आपकी भाषा और नफरत देश के लिए नुक़सानदेह है, आपके लिए तो है ही।

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