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इंसानियत की मिसाल: अपनी जान दांव पर लगा कर बचाया 300 बर्मा मुसलामानों को

yusuf is a real life hero who saved 300 burma muslims

ब्रिटेन की समाज सेवी संस्था लोनली ऑर्फन्स के सैयद इखलास की मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसने 300 से ज्यादा बर्मा के मुसलामानों को बचाया था।

सैयद ने इलम्फीड को बताया इस रियल लाइफ हीरो का नाम यूसुफ़ है। यूसुफ़ एक गरीब मगर परिश्रमी मछुआरा है, जो लंगसा, इंडोनेशिया में रहता है। बर्मा में सरकारी शह पर रोहिंग्या मुस्लिम के नरसंहार के समय यूसुफ़ को 300 लोगों से लदी एक नाव बीच समुद्र में, किनारे से 7 घण्टे की दूरी पर भटकती हुई मिली। यह लोग अपनी जान बचाने बर्मा से भाग कर इस नाव के माध्यम से खुद को सुरक्षित जगह ले जा रहे थे।

यूसुफ़ ने इंडोनेशिया ऑथोरिटी को रेडियो पर संपर्क किया लेकिन वो किसी का इंतज़ार करने के इरादे में नहीं थे। यूसुफ़ ने खुद मदद करने का फैसला लिया लेकिन समस्या यह थी कि एक समय में यूसुफ़ की नाव पर केवल 48 लोग ही समा सकते थे। यह जानते हुए कि 300 लोग जीवित रहने की आशा में अचानक उनकी नाव पर चढ़ कर सबको डूबा सकते है, फिर भी इस शेर दिल व्यक्ति ने मदद से अपने हाथ नहीं खींचे और जान की बाज़ी लगाकर मैदान में कूद पड़ा।

यूसुफ़ ने लोगो के जत्थे को बिठाना शुरू किया और हर 14 घण्टे बाद वापस आकर दुसरे जत्थे को बिठाया इस तरह 7 चक्कर लगा कर यूसुफ़ में सभी 300 लोगो की जान बचाई। यूसुफ़ ने सैयद को बताया :” पानी में बहुत से लोगों को मैंने फंसा हुआ पाया। मैंने प्रशासन को सूचना दी लेकिन किसी की मदद नहीं आई और खुद 7 चक्कर लगा कर इन लोगो को बचाया।”

सैयद ने यूसुफ़ से जब पूछा कि आपने यह ज़िम्मा खुद पर क्यों लिया तो यूसुफ़ ने जवाब दिया मुझे उनकी सहायता करनी ही थी क्योंकि यहाँ समुद्र का नियम है कि प्रत्येक व्यक्ति जो किसी को बचा सकता है, बचाये बिना किसी भेदभाव के।

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