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कैश की कमी की वजह से दिन-रात छप रहे हैं 500 के नए नोट

500 rs notes are printed in bulk due to cash crisis

भोपाल: 500 और 1000 के पुराने नोट बंद होने की वजह से कैश की काफी किल्लत हो गयी है. जिसकी वजह से मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंक नोट प्रेस में दिन-रात नोटों की छपाई का काम चल रहा है. वहां के रिटायर्ड कर्मी भी इसी काम पर लगाए गए हैं.

सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) की भोपाल से लगभग 150 किलोमीटर दूर देवास स्थित इकाई में आमतौर पर 20, 50, 100 और 500 रुपये के नोट छापे जाते हैं, लेकिन पिछले एक माह से यहां सभी मशीनों पर केवल 500 रुपये के नए नोट छापे जा रहे हैं.

बीएनपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘देशभर में नोटों की डिमांड है, इसलिए रोजाना नोटों का कंसाइनमेंट भेजा जा रहा है. पहला कंसाइनमेंट 1 नवंबर को भोपाल भेजा गया था. इसके बाद 13 नवंबर से हवाई जहाज से रिजर्व बैंक की कई शाखाओं में नोट भेजना शुरू किया गया. रोजाना दो से तीन कंटेनर नोट इंदौर भेजे जा रहे हैं. अभी तक दिल्ली, चंडीगढ़, गुवाहाटी, कोलकाता, बेंगलुरु, कानपुर, भोपाल नोट भेजे गए हैं.’

उन्होंने बताया कि बीएनपी की सभी मशीनों पर रोजाना तेजी से नोटों का उत्पादन हो रहा है. नोट छापने के बाद प्रतिदिन 2 से 3 कंटेनर से इन्हें एयरपोर्ट पहुंचाया जा रहा है. जहां से आरबीआई के निर्देश पर देश भर में अलग-अलग शहरों में मौजूद करेंसी चेस्ट तक इन नोटों को हवाई जहाज से पहुंचाया जाता है.

उन्होंने बताया कि यहां फिलहाल 500 रुपये के नोट की छपाई हो रही है. स्थिति यह है कि 24 घंटे मशीनें चल रही हैं. देशभर में नए नोटों की आपूर्ति के लिए बीएनपी के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. यहां तक कि साप्ताहिक अवकाश वाले दिन भी कर्मचारी काम कर रहे हैं. अभी तक करोड़ों नोट छापकर कई स्थानों पर भेजे जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि नए नोट ज्यादा से ज्यादा छपें, इसके लिए कर्मचारी भोजन अवकाश के वक्त भी काम करते हैं और बारी-बारी से भोजन करते हैं. इससे मशीनें लगातार चल पाती हैं.

एक ओर बीएनपी देवास पर 24 घंटे काम का दबाव है तो दूसरी ओर इसे कर्मचारियों की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है. कभी यहां करीब तीन हजार कर्मचारी काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे सेवानिवृत्त होने के बाद फिलहाल करीब 1500 कर्मचारी ही यहां रह गए हैं. पिछले सालों में आधुनिक मशीनों के चलते बीएनपी में कर्मचारी तो कम हो गए, लेकिन देश में पिछले माह अचानक हुई नोटबंदी के पहले ही इस इकाई पर काम का बेहद दबाव है.

उन्होंने कहा कि ऐसे में बीएनपी ने अब अपने कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वापस काम पर बुलाया है. बीएनपी के पूर्व कर्मचारी कमल चौहान ने कहा, ‘देशहित में हम 24 घंटे काम कर रहे हैं. इस बात से हम परेशान नही हैं, बल्कि गौरवान्वित हैं.’ एक अन्य कर्मचारी सूरज शर्मा ने बताया कि उन्हें अपनी साली की शादी में बाहर जाना था, लेकिन छुट्टी रद्द होने और काम बढ़ने के बाद उन्हें काम में जुटना पड़ा. वे भी इसे देशहित में किया काम बताकर खुशी जाहिर कर रहे हैं.

कर्मचारी अनिल गुप्ता तो अपने सगे भाई की शादी छोड़कर ड्यूटी पर मौजूद थे. इसी तरह यहां के सैकड़ों कर्मचारी अपने घर परिवार की जिम्मेदारी छोड़कर दिन-रात नोट छापने के काम में जुटे हैं.

इसी प्रकार भोपाल से लगभग 75 किलोमीटर दूर होशंगाबाद स्थित सिक्यूरिटी पेपर मिल में नोट का कागज बनाया जाता है. मिल के प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘मिल के 1200 कर्मचारी पूरी क्षमता से दिन-रात काम कर रहे हैं.’ मिल की कर्मचारी यूनियन के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘मिल में पर्याप्त कर्मचारी हैं और पूरी क्षमता के साथ चार शिफ्टों में काम हो रहा है. फिलहाल यहां 50, 100, और 500 के नोट के कागज के अलावा स्टाम्प भी छापे जा रहे हैं. 2000 रुपये के नए नोट का कागज अभी यहां नहीं बनाया जा रहा है.’

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