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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अवैध नियुक्ति के खिलाफ नोटिस जारी

notice is given against fake appointment of various teachers at aligarh muslim university
अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति होने के कारण 10 लोगों पर आरोप है और उनको तलबी नोटिस भी दिया जा चुका है। निचले कोर्ट से याचिका दाखिल होने के कारण रेवीजन करना पड़ा। 8 मई को अगली सुनवाई है।

यह बात अलग है कि रामघाट रोड पर पीएसी के पास रहने वाले अधिवक्ता पीतांबर सिंह ने 27 अक्टूबर-15 को सीजेएम कोर्ट में वाद दायर किया था। प्रकरण एएमयू में शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित था। और यह जानकर आपको हैरानी होगी कि इसमें कुलपति जमीर उद्दीन शाह, सहकुलपति सैयद अहमद अली, डिप्टी रजिस्ट्रार मुहम्मद आरिफुद्दीन अहमद, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. सालिक ए सिद्दीकी, अंग्रेजी विभाग के प्रो. राशिद शाज, उर्दू विभाग के प्रो. अबुल कलाम कासमी, प्रो. खुर्शीद अहमद, ग‌र्ल्स हाईस्कूल की शिक्षिका नाहिदा जबीन, शिक्षक तनवीर जहां, मिंटो सर्किल स्कूल के शिक्षक जेबा जमीर, शिक्षक सैयद अमीर अली आदि को आरोपी बनाया गया। आरोप फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर शिक्षकों की नियुक्ति करने का है।

कोर्ट ने मामले में जांच के आदेश दिए थे। जांच में कोताही बरतने के आरोप में रजिस्ट्रार के विरुद्ध कोर्ट में याचिका दायर की गई। धारा 340 के तहत अपील हुई, जिसे निचली कोर्ट ने खारिज कर दिया। वादी की ओर से सेशन कोर्ट में रिवीजन दाखिल किया गया, जिस पर एडीजे-8 की कोर्ट में सुनवाई चल रही है। आरोपियों की कोर्ट में पेशी के लिए 12 अप्रैल को तलवाना दाखिल किया गया, जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिए।

एएमयू में वित्तीय अनियमितताएं, नियुक्ति व अन्य मामलों से संबंधित दर्ज प्रकीर्ण वाद में पुलिस ने आख्या कोर्ट में पेश कर दी। आख्या में सिविल लाइंस पुलिस ने कहा है कि इस प्रकरण में कोई मुकदमा थाने में दर्ज नहीं है। प्रकरण में एएमयू कुलपति, उच्च शिक्षा सचिव समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया है। अगली सुनवाई 20 अप्रैल को है।

टीचर्स कॉलोनी निवासी चौ. इफ्राहीम हुसैन ने सीजेएम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि पूर्व राज्यसभा सासद वसीम अहमद ने 12 नवंबर- 15 को एएमयू कुलपति जमीरउद्दीन शाह के खिलाफ नियुक्तियां, वित्तीय अनियमितता आदि आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति से शिकायत की थी। 25 अगस्त-16 को एक जांच रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्री से मुलाकात कर पेश की गई।

मंत्रालय ने जाच के लिए राष्ट्रपति से स्वीकृति लेने के बाद कुलपति को कारण बताओ नोटिस जारी कर 30 दिन में जवाब मागा। कुलपति के जवाब से मंत्रालय संतुष्ट नहीं हुआ। फिर भी सचिव उच्च शिक्षा (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) ने कुलपति के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। न्याय संगठन के संयोजक सरदार मुकेश सैनी, सचिव अशोक यादव व उपाध्यक्ष इफ्राहीम हुसैन ने 20 फरवरी-17 को मानव संसाधन विकास मंत्री को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की, मगर सुनवाई नहीं हुई। उच्चशिक्षा सचिव केवल कुमार शर्मा को रिमाइडर भेजकर कहा गया कि ऐसी दशा में माना जाएगा कि आरोपियों से सांठगांठ की गई है। याचिका में यह भी कहा कि एएमयू के डिप्टी रजिस्ट्रार ने आरटीआइ के जवाब में बताया कि कुलपति के विरुद्ध कोई जांच लंबित नहीं है, जबकि राष्ट्रपति की ओर से जांच को मंजूरी मिल चुकी थी। कोर्ट ने प्रकीर्ण वाद दर्ज कर थाने से आख्या मांगी थी।

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