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जानिये बजट 2017-18 से जुड़ी कुछ ख़ास बातें

important facts about budget 2017-18

नई दिल्ली: 1 फरवरी, 2017 को बजट 2017-18 पेश किया जायेगा. बजट में यह बताया जाएगा कि आम आदमी के लिये कौनसा सामान सस्ता होगा और कौनसा सामान महंगा और इनकम पर लगने वाले टैक्स को लेकर अहम फैसले लिये जायेंगे. रेल का किराया और कितनी नयी ट्रेन चलेंगी से लेकर कई अन्य ज़रूरी फैसले बजट पेश करते वक़्त सरकार हमारे सामने रखेगी. सरकार क्या फैसला लेगी यह जानने में थोड़ा समय और लगेगा.

बजट क्या है, रेल बजट का विलय- दरअसल भारतीय संविधान के आर्टिकल 112 के मुताबिक, केंद्रीय बजट किसी भी सरकार का आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमानित खर्चों से जुड़ा ब्यौरा है. करीब 92 साल तक रेल बजट आम बजट से अलग पेश किया जाता था. लेकिन पिछले साल मोदी सरकार ने फैसला किया कि रेल बजट का यूनियन बजट में विलय कर दिया जाए. इसी के साथ ब्रिटिशकालीन परंपरा का भी अंत हो गया. इस बार भारतीय रेलवे संबंधी घोषणाएं भी 1 फरवरी यानी आम बजट के जरिए ही की जाएंगी.

भारत का पहला बजट- हर साल बजट पेश किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला बजट कब  पेश किया गया था. ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा 18 फरवरी अप्रैल 1869 को भारत का पहला बजट ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से पेश किया गया था. इसे जेम्स विल्सन ने पेश किया था, वह इंडियन काउंसिल के फाइनेंस मेंबर थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने ही आगे चलकर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और द इकॉनमिस्ट की नींव रखी थी.

 आजाद भारत का पहला बजट- आजादी के बाद देश का पहला बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री थे आरके शनमुकम चेट्टी. उन्होंने 26 नवंबर 1947 को बजट पेश किया था. इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था. केसी नेगी भारत के ऐसे वित्त मंत्री थे जिन्होंने बजट नहीं पेश किया था. वह केवल 35 दिनों तक वित्त मंत्री के पद पर रहे थे.

 सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री- सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रेकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है. 7 बार बजट पेश करने वालों में प्रणव मुखर्जी, पी चिदंबरम, यशवंत सिन्हा, वाईबी चौहान, सीडी देशमुख हैं. मोरारजी को 10 बार बजट पेश करने का मौका मिला है.  मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णामाचारी ने छह बार बजट पेश किए हैं.

देश के प्रधानमंत्री ने भी किए बजट- वैसे तो देश का वित्त मंत्री ही बजट पेश करता है. लेकिन इतिहास में ये मौके भी आए जब जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को प्रधानमंत्री रहते बजट पेश करना पड़ा था. उस वक्त उनके वित्त मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था.

बजट और गोपनीयता- बजट किसी भी सरकार का गोपनीय दस्तावेज है. इसे बनाने की प्रक्रिया में लगे 100 अधिकारी दो से तीन सप्ताह तक नॉर्थ ब्लॉक में रहते हैं. इस दौरान वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए होते हैं.  यहां तक कि अपने परिवारों के संपर्क में भी नहीं होते. उनके पास केवल एक फोन होता है जिसके जरिए वे केवल कॉल रिसीव कर सकते हैं, मगर कहीं कॉल कर नहीं सकते हैं. बजट पत्र वित्त मंत्रालय के निजी प्रेस में छपते हैं.

हलवा समारोह-  बजट पेश करने संबंधी दस्तावेजों की प्रिटिंग फाइनेंस मिनिस्टर पहले कुछ दस्तावेज पढ़ते हैं. इन दस्तावेजों की प्रिटिंग शुरू होने से पहले नॉर्थ ब्लॉक में ‘हलवा समारोह’ बनाया जाता है जिसके बारे में कहते हैं कि इसे वित्त मंत्री खुद तैयार करते हैं और इसे बजट में लगे सभी कर्मियों में बांटा जाता है. एक बड़ी कड़ाही में इसे तैयार किया जाता है

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