तो चलिए अब बात करते हैं ताजमहल की। जैसा कि आप सब जानते हैं कि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में शुमार किया जाता है। ताजमहल को अगर कोई देखता है तो बस देखता ही रह जाता है।
हम आपको बता दें कि ताजमहल का निर्माण साल 1631 में शुरू हुआ था और साल 1653 में बनकर पूरी तरह से तैयार हुआ था। कहा जाता है कि ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनाया जाता है। ताजमहल की बाहरी खूबसूरती तो हर किसी न देखी हुई होगी।
लेकिन क्या आपको पता है ताजमहल में एक ऐसा रहस्य है जिससे हर कोई अनजान है। ताजमहल का रहस्य उसके तहखाने में छुपा हुआ है। ताजमहल के इस रहस्य को सरकार भी आमजनों को बताने से डरती है। कई शोधकर्ताओं की मानें तो ताजमहल के नीचे तकरीबन 1000 से भी ज्यादा कमरे है।
साथ ही कहा जाता है कि ताजमहल से बाहर निकलने के लिए भी एक खुफिया दरवाजा है,लजिसे शाहजहां के समय से ही ईंटों से बंद करवा दिया गया था। जिसके बाद से ही यहां पर किसी को आने की परमिशन नहीं दी जाती है।
ताजमहल का खुला राज
ताजमहल के बारे में कहा जाता है कि वो जितना जमीन के ऊपर बना हुआ है उतना ही जमीन के नीचे गहराई में भी है। ताजमहल का खुफिया दरवाजा उसके निर्माण के पश्चात् ही बंद किया गया था। गौरतलब है कि इतिहास में जब भी कोई किला बनाया जाता था तो उसमें एक खुफिया रास्ता भी होता था जहां से बाहर निकला जा सकता था।
ताजमहल में एक ऐसा दरवाजा है जिसे कई सालों से खोला नहीं जाता है। इस दरवाजे को खोलने के लिए सरकार ने भी निर्देश नहीं दिए है। यहां पर घूमने आए सैलानियों को इस दरवाजे के पास जाने की भी इजाजत नहीं दी जाती है।
कई शोधकर्ताओं का मानना है कि इस दरवाजे के अंदर कमरे में मुमताज की कब्र को रखा गया है। इसलिए ही इस कमरे को हमेशा से बंद रखा जाता है और यहां पर किसी के भी प्रवेश को प्रतिबंधित किया हुआ है।
लेकिन कुछ पुरातत्वविदों ने दावा किया कि इस जगह पर पहले एक ताजुमहालया नाम का शिव मंदिर था।
कुछ अन्य लोगों का कहना है कि इस कमरे में बड़ी मात्रा में खजाना छिपा हुआ है जिसकी पुष्टि मेटल डिटेक्टर में भी हुई है।
लेकिन आज भी ताजमहल के नीचे तहखाने के कई सारे कमरों को सरकार खोलने से डरती है। वहीं इन कमरों का रहस्य पता नहीं कितने सालों तक आम जनता के सामने नहीं आ सकेगा।